SAMANYA GYAN

Samanya Gyan

चमार को काबू कैसे करें – Chamar ko Kabu Mein Kaise Karen

आज ऐसे ही गूगल पर कुछ Search करते हुए एक सवाल सामने आया की Chamar ko Kabu Mein Kaise Karen पहले तो मुझे लगा की ये कुछ और होगा, लेकिन यकीन नहीं आया की लोग ऐसे बेहूदा सवाल भी गूगल से पूछते होंगे। तो भैया चमार को काबू में कैसे करें इसका जवाब जानने से पहले चमार जाति के बारे में जानना ज्यादा जरुरी है, क्यूंकि जब तक आपको मर्ज का पता नहीं होगा तो मरीज को कैसे ठीक करोगे ?

Chamar ko Kabu Mein Kaise Karen
Chamar ko Kabu Mein Kaise Karen

भारत में जातीय व्यवस्था नहीं वर्ण व्यवस्था थी।

डॉ भीमराव अंबेडकर ने अपनी पुस्तक ”शूद्र कौन-?” मे लिखा था की आज के शूद्र वे नहीं, यानी वर्तमान और वैदिक कालीन शूद्र अलग-अलग होने का सकारात्मक विश्लेषण किया बताया गया है, की हिन्दू धर्म ग्रन्थों मे वर्णित शूद्र कभी अस्पृश्य नहीं थे यानि ये छुआ छूत वाली प्रथा ग्रंथो में नहीं मिलती है, शूद्रों मे राजा तथा विद्वान होने के अनेक उदाहरणों का पाया गया है, वैदिक काल के शूद्र आनुवांशिक न होकर कर्म पर आधारित हुआ करते थे, वैदिक काल मे छुवा- छूत व भेद- भाव नहीं हुआ करता था, रामायण में आपको इसके प्रमाण देखने को मिल जायेंगे, वैदिक ऋषि कवष एलूष, दीर्घतमा जैसे शूद्र जो ऋषि हो गए तथा वे ब्राह्मण श्रेणी मे आ गए वैदिक काल के ‘राजा सुदास’ जिसने अश्वमेध यज्ञ किया था, जिनके पुरोहित पहले विश्वामित्र बाद मे वशिष्ठ हुए वह प्रथम शूद्र हुए थे वह क्षत्रित्व कुल के थे, ऐसे और न जाने कितने उदाहरण दिये जा सकते हैं , इस्लाम काल आने से पहले के पहले हमारे यहाँ जातियाँ थी ही नहीं थी याज्ञवल्क्य के ‘ब्रहमण शतपथ’ मे अथवा महाभारत जैसे ग्रंथ मे भी कहीं इतनी जतियों का वर्णन नहीं किया गया है आर्य समाज के संस्थापक ”श्री स्वामी दयानन्द” तो इस जातीय ब्यवस्था को एक सिरे से खारिज करते हैं, और वर्ण ब्यवस्था का पुरजोर समर्थन करते हैं, स्वामी विवेकानंद भी इसे खारिज करते हैं, तो यह कैसे और क्यों प्रचलित की गयी? क्यों इन हिन्दू समाज के धर्म वीरों को पददलित करने का प्रयास किया गया इस पर चिंतन अवश्य होना चाहिए ।

आपको चर्मकार जाती और राजवंशीय इतिहास एवं चवरवंशीय क्षत्रियों का विदेशी आक्रांता शासकों द्वारा बल पूर्वक अवनयन समझना होगा जो अत्यंत विस्मयकारी है, हम सभी जानते हैं की इस्लामिक उत्पीड़न से अस्पृश्य, दलित और भारतीय मुसलमान जतियों को बलपूर्वक बनाए जाने का साक्ष्यपूर्ण इतिहास के प्रमाण मौजूद है, मध्यकाल के बाद भारत के सामाजिक ताने बाने मे मुसलमान, सिख, दलित एवं वनवासी यानी इन चार समुदाय का उदय होना अपने-आप एक सोध का विषय होना चाहिए, जिन योद्धाओं ने विदेशी आक्रांताओं के सामने घुटने नहीं टेके तथा स्वाभिमानी, धर्मरक्षक एवं हिन्दू योद्धाओं द्वारा विदेशी आक्रांताओं के सामने अपने प्राण देना मूल्यवान समझा, ऐसे धर्म के मूल पर चर्म कर्म स्वीकार करना उनकी हिन्दुत्व के प्रति प्रतिवद्धता को सहज ही अनुभव किया जा सकता है ये लोग जिन्हे आज सब दलित या पिछड़ी जाति का कहते हैं इन्होने धर्म-परिवर्तन न करके तत्कालीन शासन एवं सत्ता से मिलने वाले सभी लाभों को ठुकरा दिया, उनकी प्रखर इच्छा धर्म की रक्षा करने की रही थी।

चंवर वंश का या चमार जाति का इतिहास

सिकन्दर लोदी के आने से पहले पूरे भारतीय इतिहास में ‘चमार’ नाम की किसी जाति का कोई उल्लेख नहीं मिलता | आज जिन्हें हम चमार जाति से संबोधित करते हैं और जिनके साथ उठना बैठा यहाँ तक ठीक से बात करना भी स्वीकार नहीं करते हैं, दरअसल वह वीर चंवर वंश के क्षत्रिय हुआ करते हैं | जिन्हें सिकन्दर लोदी (1489-1517) ने चमार (किसी गाली की तरह) घोषित करके अपमानित किया|

कर्नल टाड जिन्हे सबसे विश्वसनीय इतिहास लेखकों में से एक को माना जाता है उन्होंने अपनी पुस्तक द हिस्ट्री आफ राजस्थान में चंवर वंश के बारे में विस्तार से जिक्र किया है |

डॅा विजय सोनकर शास्त्री जो की बहोत प्रख्यात लेखक हैं उन्होंने भी गहन शोध के बाद इनके स्वर्णिम अतीत को विस्तार से बताने वाली एक पुस्तक “हिन्दू चर्ममारी जाति एक स्वर्णिम गौरवशाली राजवंशीय इतिहास” लिखी है | महाभारत के अनुशासन पर्व में भी इस राजवंश का उल्लेख मिलता है | डॉ सोनकर शास्त्री के अनुसार प्राचीनकाल में न तो चमार नामक कोई शब्द था और न ही इस नाम की कोई जाति हुआ करती थी |

वह लिखते है की आज भारत साढे़ छह हजार जातियों एवं पचास हजार से अधिक उपजातियों में बँटा हुआ आज का हिंदू समाज अपनी दुर्दशा पर आँसू बहा रहा है। हिंदू चमार जाति भी उसमें से एक है। पहले साढे़ छह हजार जाति नहीं वल्कि सिर्फ चार वर्ण, एक सौ सत्रह गोत्र और छत्तीस जातियों में संपूर्ण हिंदू समाज सुव्यवस्थित था। विदेशी तथा अरेबियन आक्रांताओं के आक्रमण के पहले भारत में मुसलिम, सिख एवं दलित भी नहीं थे। धर्म के मूल्य पर बलपूर्वक चर्मकर्म में लगाई गई हिंदू चमार जाति के स्वर्णिम गौरवशाली राजवंशीय इतिहास की यह एक शोधपरक प्रस्तुति है। हिंदू चमार जाति की वर्तमान स्थिति का आकलन एवं उसके सशक्तीकरण हेतु समाज एवं सरकार से विकास के उपाय एवं अनुशंसा इस कृति का मूल है। विशेष रूप से इस जाति के वंश, गोत्र और उपनाम के विस्तृत विवेचन के साथ हिंदू चमार जाति का भारत के लिए प्रदत्त योगदान का उल्लेख अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। हिंदू चमार जाति को अछूत, अपवित्र, अपमानित एवं तिरस्कृत जीवन के प्रत्येक तर्क को निराधार, निरर्थक एवं अतार्किक प्रमाणित करती यह कृति उनके गौरवशाली स्वर्णिम इतिहास को प्रकाशित करती है।.

डॉ हमीदा खातून जो की अर्वनाइजेशन’ की लेखिका है वह लिखती हैं मध्यकालीन इस्लामी शासन से पूर्व भारत में चर्म एवं सफाई कर्म के लिए किसी विशेष जाति का कोई भी उल्लेख नहीं मिलता है | हिंदू चमड़े को निषिद्ध व ख़राब समझते थे | लेकिन भारत में मुस्लिम शासकों के आने के बाद इसके उत्पादन को शुरू कर दिया गया |

डॅा विजय शास्त्री के अनुसार तुर्की आक्रमणकारियों के काल में चंवर राजवंश का शासन भारत के पश्चिमी भाग में स्थित था और इसके राजा चंवरसेन थे हो की बहोत प्रतापी थे| राना सांगा व उनकी पत्नी झाली रानी ने चंवरवंश से संबंध रखने वाले संत रविदास को अपना गुरु बनाया था और उनको मेवाड़ के राजगुरु की उपाधि भी दी थी और उनसे चित्तौड़ के किले में रहने की प्रार्थना भी कराइ गयी थी |

संत रविदास ने कई महीने चित्तौड़ के किले में गुजरे हैं | उनके महान व्यक्तित्व एवं उपदेशों से ही प्रभावित होकर बड़ी संख्या में लोगों ने उन्हें गुरू माना और उनके अनुयायी बन गए| उसी का परिणाम है आज भी विशेषकर पश्चिम भारत में बड़ी संख्या में रविदासी मौजूद हैं |

अगर बात राजस्थान की करें तो वहां चमार जाति का बर्ताव आज भी लगभग राजपूतों जैसा ही है | औरतें लम्बा घूंघट रखती हैं आदमी ज़्यादातर मूंछे और पगड़ी पहनते हैं |

तो संत रविदास की प्रसिद्धी इतनी बढ़ने लगी कि इस्लामिक शासन घबरा गया सिकन्दर लोदी ने मुल्ला सदना फकीर को संत रविदास को मुसलमान बनाने के लिए भेज दिया क्यूंकि वह जानता था की यदि रविदास इस्लाम स्वीकार लेता हैं तो भारत में बहुत बड़ी संख्या में इस्लाम फैलाना आसान हो जायेगा लेकिन उसकी सोच धरी की धरी रह गयी मुल्ला सदना फकीर खुद शास्त्रार्थ में पराजित हो गया और उसने लोधी को कोई उत्तर नहीं दिया और संत रविदास की भक्ति से प्रभावित होकर अपना नाम रामदास रखकर उनका भक्त वैष्णव (हिन्दू) बन गया |

उसके बाद दोनों संत मिलकर हिन्दू धर्म के प्रचार में लग गए जिसके चलते सिकंदर लोदी आगबबूला हो गया और उसने संत रविदास (रैदास ) को कैद कर लिया और इनके सभी अनुयायियों को चमार यानी अछूत चंडाल घोषित कर दिया | लोधी की सेना उनसे कारावास में खाल खिचवाने, खाल-चमड़ा पीटने, जूती बनाने इत्यादि काम जबरदस्ती कराया करती थी उन्हें मुसलमान बनाने के लिए उन्हें बहुत शारीरिक कष्ट दिए | लेकिन उन्होंने कहा :-

वेद धर्म सबसे बड़ा, अनुपम सच्चा ज्ञान,
फिर मै क्यों छोडू इसे, पढ़ लू झूठ कुरान.
वेद धर्म छोडू नहीं, कोसिस करो हज़ार,
तिल-तिल काटो चाहि, गोदो अंग कटार

संत रविदास पर हो रहे अत्याचारों के प्रतिउत्तर में चंवर वंश के क्षत्रियों ने दिल्ली को घेर लिया | इससे डर कर सिकन्दर लोदी को संत रैदास को छोड़ना ही पड़ा | कैद में रह कर संत रैदास ने दोहा कहा था की :-

बादशाह ने वचन उचारा ,
मत प्यारा इसलाम हमारा,
खंडन करै उसे रविदासा ,
उसे करौ प्राण कौ नाशा ,
जब तक राम नाम रट लावे ,
दाना पानी यह नहींपावे ,
जब इसलाम धर्म स्वीकारे,
मुख से कलमा आपा उचारै,
पढे नमाज जभी चितलाई ,
दाना पानी तब यह पाई .

असल समस्या तो यह है कि हम लोगो ने संत रविदास के दोहों को पढ़ा ही नहीं, जिसमें उस समय के समाज का चित्रण है जो धूर्त सिकंदर लोदी के अत्याचार, इस्लाम में जबरदस्ती धर्मांतरण और इसका विरोध करने वाले हिन्दुओं ब्राहमणों व क्षत्रियों को निम्न कर्म में धकेलने की ओर संकेत करता है |

चंवर वंश के वह वीर क्षत्रिय जिन्हें सिकंदर लोदी ने ‘चमार’ बना दिया और हमारे-आपके हिंदू पुरखों ने उन्हें अछूत बना कर इस्लामी बर्बरता का हाथ और मजबूत कर दिया| इस समाज के लोगो ने पददलित और अपमानित होना स्वीकार किया, लेकिन विधर्मी या इस्लामिक होना स्वीकार नहीं किया आज भी यह समाज हिन्दू धर्म का आधार बनकर डट कर खड़ा है |

भारत में आज लगभग 23 करोड़ मुसलमान हैं और लगभग 35 करोड़ अनुसूचित जातियों के लोग रहते हैं | जरा सोचिये की अगर इन लोगों ने भी मुगल अत्याचारों के आगे हार मान ली होती और मुसलमान तब्दील गये होते तो आज भारत में मुस्लिम जनसंख्या 50 करोड़ से भी ज्यादा होती और आज भारत एक मुस्लिम राष्ट्र बन चुका होता | यहाँ पर भी जेहाद का बोलबाला होता और ईराक, सीरिया, सोमालिया, पाकिस्तान और अफगानिस्तान आदि देशों की तरह बम-धमाके, मार-काट और खून-खराबे का माहौल हमेशा बना होता | हम सभी हिन्दू या तो मार डाले जाते या फिर धर्मान्तरित कर मुस्लिम बना दिये जाते या फिर हमें काफिर के रूप में अत्यंत ही गलीज जिन्दगी मिलती |

इस वर्तमान पीढ़ी की विडंबना तो देखिये की हम इस महान संत के बलिदान से अनजान हैं। कमाल की बात तो यह है कि इतने ज़ुल्म सहने के बाद भी इस वंश के वीर हिंदु ही बने रहे और उन्होंने इस्लाम को नहीं कबूला। गलती हमारे समाज में ही है। हम हिन्दुओं को अपने से ज्यादा भरोसा वामपंथियों और अंग्रेजों के लेखन पर होता है। उनके कहे झूठ के चलते हमने अपने ही भाइयों को अछूत बना लिया है। और वो लोग जो कभी हिन्दू थे जिन्होंने डर से इस्लाम कबूल कर लिया और आज उनकी औलादे इस्लामिक प्रचार करके वही काम कर रहीं हैं जिनके डर से कभी उनके पूर्वज मुस्लिम बने थे, तो सही कौन वो लोग जिन्होंने डर से इस्लाम कबूल किया या फिर वो जिन्होंने अपने पूरी ज़िन्दगी अछूत बनना सही समझा पर अपना धर्म नहीं बेचा ?

अब आते है आपके सवाल पर Chamar ko Kabu Mein Kaise Karen?

तो मेरे भाई जिन्हे सिकंदर लोधी जैसा धूर्त राजा भी काबू में नहीं कर पाया तो बाकियाँ की क्या ही औकात होगी, सबसे पहले जिसके लिए तुम ये सवाल करने यहाँ आये हो उससे जाकर सॉरी कहो और बोलना की ये देश तुम्हारा सदा ऋणी रहेगा।

बाकी इस लेख में किसी भी धर्म जाति को हानि पहुंचाने का मेरा कोई उद्देश्य नहीं है, बस सच को आइना दिखना भी बेहद जरुरी है।।

चमार शब्द का अर्थ क्या है?’

चमार’ शब्द को संस्कृत में के ‘चर्मकार’ का अपभ्रंश माना गया है, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘चमड़े से सम्बन्धित काम करने वाला है। चमार जाति का मुख्य पेशा चमड़े की जीवन उपयोगी वस्तुएं बनाना माना जाता था जैसे कि जूते, मशक, नगाड़ा, बेल्ट, बख्तर, लेकिन उसके बाद कुछ चमारों ने कपड़ा बुनने का धंधा भी अपना लिया एवं ख़ुद को जुलाहा चमार बुलाने लगे।

चमारों का राजा कौन था?

जब भारत देश पर तुर्कों का शासन हुआ करता था तब उस समय चमरवंश नामक एक वाले वंश था जिनका भारत के पश्चिमी भाग पर शासन था! और उस समय इस वंश के राजा चंवरसेन थे!

चमारों की जनसंख्या कितनी है?

2011 की जन गड़ना के हिसाब से इनकी जनसंख्या लगभग 2.8 करोड़ है जो मुख्य आवादी का 12 प्रतिशत है।

चमार और जाटव में क्या अंतर है?

जाटव, जिसे जाटवा / जटुआ /जाटन / जटिया के नाम से भी जाना जाता है, यह एक भारतीय सामाजिक समूह है जिसे चमार जाति (अब अक्सर लोग दलित कहते है) का हिस्सा माना जाता है, जिन्हें आधुनिक भारत की सकारात्मक प्रणाली के तहत अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

Tags : चमार को काबू में कैसे करें, गूगल चमार को कैसे काबू करें, चमार को कैसे काबू में करें, चमारों की औकात क्या है, chamar ko kabu mein kaise karen, chamar ko kaise kabu mein karen, chamar ko kaise kabu karen, chamar ko kabu kaise karen, चमार को काबू कैसे करें.

यह भी पढ़ें : खाली समय में अतिरिक्त पैसा कमाने के लिए 25 Best Side Hustle Apps

Leave a Comment